Sunday 1 April 2012

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प्रिया की नथ

दोस्तो, मेरी पिछली कुछ कहानियाँ बहुत सराही गई आप लोगों के द्वारा !
तो मैं आपको अपने जीवनकाल में आई एक और लड़की की कहानी बताने जा रहा हूँ, उस लड़की का नाम प्रिया था, वो मेरे साथ मेरे कॉलेज में पढ़ती थी, वो बिहार की रहने वाली थी और यह बात सच है कि बिहार की लड़कियों को शहर में आकर वहाँ के लड़कों से दोस्ती करने में बड़ा मज़ा आता है। तो प्रिया से मेरी दोस्ती बड़ी आसानी से हो गई। हम पूरे दिन साथ उठते बैठते थे। सब बढ़िया था, वो एक साधारण सी दिखने वाली लड़की थी, उसके मम्मे एकदम बढ़िया आकार में थे, वो बहुत ही खुल कर और सीधी बात करने वाली लड़की थी, मगर वो मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में जानती थी, इसलिए मैं उसके साथ कभी आगे नहीं बढ़ पाया था, मगर शायद आगे कुछ और ही होना था।

बात है हमारे दूसरे साल की, जब हम अपने जूनियर्स को पार्टी देने की तैयारियों में लगे हुए थे और उसको और मेरे को पूरे कार्यक्रम को होस्ट करना था। हम दोनों एक साथ ही प्रेक्टिस करते रहते थे।

मैं कुछ दिन से देख रहा था कि वो मेरी बातों पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगी थी और मेरे गंदे से गंदे मजाक पर भी जोर से हंसने लगी थी, मैं समझने लगा था कि उसकी खुजली बढ़ती ही जा रही थी।

खैर जिस दिन पार्टी थी उस दिन प्रिया तैयार होकर आई, काली साड़ी में वो क्या क़यामत लग रही थी ! मेरा मन तो उसे देख कर ही डोल गया, मैंने सोच लिया कि आज इसे प्रपोज़ कर दूंगा और कम से इसकी सारी लिपस्टिक तो खाऊंगा ही।

हम लोगों ने कार्यक्रम ख़त्म किया और कपडे बदलने के लिए ऊपर गए, हम थके हुए थे। मैं प्रिया से कुछ सामान लेने के बहाने से उसके कमरे में चला गया और दरवाज़ा हल्का सा ढाल दिया। मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा- आज तुमने बड़ा अच्छा किया !

और कह कर उसकी आँखों में देखने लगा और हम अनायास ही एक दूसरे के पास खींचते चले गए, मेरे और उसके होंठ मिल गए, हमने चूमना चालू किया। मेरी चरम पर थी, मगर मैंने ड्रामा करने के लिए उसे मना किया- यह सब गलत है !

और मैं उससे अलग हो गया, मगर मैं जनता था कि वो लड़की गर्म हो चुकी थी, उसने मुझसे कहा- प्लीज़ मुझे छोड़ कर मत जाओ !\"

मैंने मौके की नजाकत को समझा और भाग कर कमरे का दरवाज़ा बंद दिया, फिर मैंने वापस जाकर उसे \"आई लव यू\" बोला और उसको अपनी तरफ खींच कर बोला- मैं कब से इस बात का इंतज़ार कर रहा था, की कुछ ऐसा हो !

मैंने फिर उसे चूमना चालू किया, उसे चुम्बन करना आता ही नहीं था, सारा मज़ा खराब हो रहा था, वो बस अपने होंठ बंद करे खड़ी थी।

मैं रुका और उससे कहा- ऐसे नहीं ! अगर मज़े लेने हैं तो अपने होंठों को भी चला ! उन्हें खोल कर मेरे होंठ पकड़ने की कोशिश कर !

उसके बाद जो उसके होंठ खाने का मज़ा आया, क्या बताऊँ !

उसके बाद मैंने उसकी साड़ी उतारनी चालू की और उसके मम्मो की आकृति मुझे पागल किये जा रही थी, मैंने कस के उसके मम्मे दबाये और ब्लाउज़ के ऊपर से ही खाने लगा। उसके चुचूक एकदम सख्त हो गए थे, मैं बहुत देर तक उसके मम्मे अपने मुँह से गीले करता रहा, फिर मैंने उसके ब्लाउज़ के बटन खोले, और उसकी साड़ी उतार कर एक तरफ़ फ़ेंक दी, उसका पेटीकोट ऊपर कर दिया और उसकी पैंटी निकाल दी।

मैंने उसकी पैंटी को सूंघा तो उसमें से गज़ब की महक आ रही थी। मैंने उसकी चूत देखी, उसके आस-पास बाल बहुत थे, मैंने उसकी दोनों टाँगें फ़ैलाई और उसकी चूत में अपना मुँह लगा दिया।

बहुत देर तक चूसा मैंने प्रिया की चूत को !

उसके बाद मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया, और उससे कहा- बहुत दर्द होगा पहली बार में ! बाहर किसी ने सुन किया तो परेशानी हो जाएगी !

उसकी दोनों टाँगें अपने हाथों में उठाई, अपने लंड पर और उसकी चूत पर थोड़ा थूका, उससे पूछा- डर लग रहा है क्या?

वो बोली- नहीं !

मैंने फिर उसकी चूत के ऊपर लंड रख कर धीरे-धीरे अन्दर दे दिया।

वो तड़पने लगी और आहें भरने लगी। मैंने अगली बार झटके से पूरा लंड अन्दर तक दे दिया।

इस बार वो बोली- आई मम्मी ! मर गई !

और मेरे हाथों को कस के नोच लिया।मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकला, देखा कि उसकी झिल्ली फट गई थी, मैंने उससे बोला- डरना नहीं, पहली बार ऐसा ही होता है !

मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए उसको चूमना चालू कर दिया, और बातों-बातों में फिर उसकी चूत में लंड डाल दिया और वो थोड़ा हड़बड़ाई मगर मैंने लंड फिर बाड़ दिया और उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर लिए।

मैंने धीरे-धीरे कई धक्के मारे उसे ! वो अब निढाल हो चुकी थी, उसकी इतनी मुलायम चूत थी, मैं उसे फाड़ना नहीं चाहता था और शायद वो और नहीं झेल पाती इसलिए मैं रुक गया। क्योंकि जो लड़की पहली बार चुदती है, उसे आराम से ही चोदना चाहिए, वरना उसके दिल में डर बैठ जाता है और वो दोबारा चुदना नहीं चाहेगी।

मैंने प्रिया को बोला- अब खड़ी होकर अपने कपड़े ठीक कर ले।

उसने कपड़े ठीक किये और मैं उसके साथ बाहर आ गया।

हाय दोस्तो, मेरा नाम सैक्सी बोएय है, मैं दिल्ली में रहता हूँ।
IF YOU HAVE ANY PROBLEM ABOUT SEX TELL ME I M SOLVE YOUR PROBLEM.
CALL ME NINE TWO ONE ONE ONE TWO THREE THREE ONE EIGHT.

मैं प्रिया की नथ उतार चुका था और वो मुझसे प्यार करने लगी थी।

मगर मेरी गर्लफ्रेंड कोई और ही थी और वो यह बात जानते हुए भी मुझ से चुदी थी, अब प्रिया का मन पक्का हो गया था। हम क्लास में एक साथ बैठते थे, मैं उसके मुम्मे सहलाता था, जैसे ही मौका मिलता उसे चूम लेता, और वो इन सब चीजों से बहुत खुश रहती, मुझे भी एक अच्छा टाइम पास मिल गया था।

एक बार मुझे और मेरे दोस्त को एक दिन के लिए परीक्षा के लिए देहरादून जाना था, तो मैंने प्रिया से भी पूछ लिया कि वो चलेगी क्या?

उसने हाँ कर दी।

मेरे दोस्त ने भी अपनी गर्लफ्रेंड को साथ ले लिया, हम लोग पहले रात को देहरादून पहुंचे और अगले दिन सुबह हमारी परीक्षा थी।

हमने दो कमरे अलग अलग लिए, एक दोनों लड़कियों के नाम से और एक हम दोस्तों के नाम से ! इससे हमें कमरे आराम से मिल गए।

हम दोनों लड़के एक कमरे में सो गए और दोनों लड़कियाँ एक कमरे में सो गई।

अगले दिन हम दोपहर तक परीक्षा देकर आये और हमने सोचा कि एक दिन मसूरी भी घूम लें।

हम मसूरी के लिए निकल गए, ठण्ड का मौसम था, वहाँ अच्छी ठण्ड थी। हमने शाम को होटल में खाना खाया और जाकर अपने कमरों में सो गए। हमारी आपस में पहले ही बात हो गई थी कि हम रात में अपने कमरे बदल लेंगे।

रात में मैं प्रिया वाले कमरे में चला गया और प्रीति (जो मेरे दोस्त रमन्प्रीत की गर्लफ्रेंड थी) उसके कमरे में चली गई।

प्रिया मेरा इंतज़ार कर रही थी, उसने दरवाज़ा खुला छोड़ रखा था मैं कमरे के अन्दर घुसा तो देखा कि वो अपने कम्बल में लेटी थी। मैंने दरवाज़ा बंद किया और प्रिया के साथ कम्बल में घुस गया। देखा कि प्रिया ने कुछ नहीं पहना था।

मैंने फ़्रिज़ में से एक बीयर निकाली और प्रिया से पूछा तो उसने हाँ बोल दिया। उसने तब तक कभी बीयर पी नहीं थी। वो आधी बीयर पीकर ही बहक गई और मुझसे लिपट कर मुझे कहने लगी- राज तुम मुझ से ही शादी करना ! अपनी वाली गर्लफ्रेंड को भूल जाओ, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी !

मैंने कहा- ठीक है, मगर मुझे बीयर तो ख़त्म करने दो !

मैंने बीयर ख़त्म की और प्रिया से कहा- आज से हम पति-पत्नी हैं, और मैं तुमसे ही शादी करूँगा !

कह कर मैंने उसके होंठों को चूमना चालू किया, उसने भी बड़ी नरमी से अपने होंठों को मेरे होंठों से लड़ाना चालू किया, मैं बार बार उससे \" आई लव यू\" कहता और उसे बेतहाशा चूमता रहता, उसके बाद मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत पर अपनी जीभ को फिरना चालू किया, वो मदहोश होकर पड़ी रही और मैं उसकी चूत को बहुत देर तक चाटता ही रहा, वो आहें भरती रही।

मैं उसे देख देख कर और पागल सा होता जा रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और हल्के-हल्के से अन्दर की ओर घुसाना चालू किया।

प्रिया धीरे धीरे तड़पने लगी और मुझे यह सब देखने में बड़ा मज़ा आता था कि कोई लड़की तड़पे मेरे चोदने से !

मैंने अपनी गति बढानी चालू की, पर मैं प्रिया की सहनशीलता का पूरा ध्यान रख रहा था, जब मुझे लगता कि वो नहीं झेल पाएगी तो मैं थोड़ा धीरे हो जाता और जब मुझे लगता कि वो सह रही है, तब मैं अपनी स्पीड बढ़ा लेता।

मैंने प्रिया के साथ कई बार सहवास किया, मगर आखिर में मुझसे गलती हो ही गई और अनजाने में मैंने अपनी स्पीड का ध्यान नहीं रखा और प्रिया की तड़प को उसका मज़ा समझते हुए अपनी स्पीड इतनी बढ़ा दी कि उसकी चूत ही फ़ट गई और और वो बहुत जोर से चिल्लाई और कस के मेरे छाती पर नोच लिया जिससे मेरी छाती के कुछ बाल उखड़ कर उसके हाथ में आ गए।

मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे कस के एक तमाचा मार दिया, वो रोने लगी।

मगर जल्दी ही मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया और मैंने झट से उसकी चूत उसकी पैंटी से पौंछी और उसकी चूत के नीचे की तरफ अपनी टी-शर्ट रख दी, क्योंकि वो नशे में थी तो खून कुछ ज्यादा ही निकल रहा था।

मैंने जल्दी से फ़्रिज़ में से बर्फ निकाली और उसकी चूत पर लगा दी, वो थोड़ा चीखी मगर मैंने अपने होंठों से उसके होंठ सील कर दिए।

फिर प्रिया को मैंने कहा कि अब वो सोने की कोशिश करे। मैं उसकी बगल में ही लेट गया और सुबह उठते ही उसे बोल कर मैं वापस अपने कमरे में जाने लगा।

अपने कमरे का दरवाजा खटकाया तो प्रीति ने दरवाजा खोला, वो नंगी थी और एक एक चादर लपेटी हुई थी।

मैंने प्रीति को उसके कमरे में जाने को कहा और बोला- प्रिया का ध्यान रखना ! उसे रात को काफ़ी तकलीफ़ हुई !

प्रीति मुस्कुरा कर चली गई।

मैंने प्रिया के साथ जब से सम्बन्ध बनाये तो मेरी तो चांदी हो गई थी, जब भी मेरा मन करता मैं उसे क्लास में रोक कर चूसता रहता, उसके मुलायम मम्मे मैं अपने हाथ में लेकर दबाता ही रहता। रोज़ मैं उसके मम्मे चूसने के लिए स्टाफ रूम में ले जाता और बहुत देर तक उसके मम्मे चूसता रहता। और वो जिस भी दिन स्कर्ट पहन कर आ जाती, उसी दिन उसकी चूत में अपना लिंग घुसा ही देता।

मैंने प्रिया के साथ वो सब काम किये जो मैंने कभी किसी ब्लू फिल्म में देखे थे। मैं उसके होंठों को एक दिन अपने होंठों से मिलाया और इस तरह रगड़ा कि उसके होंठ एकदम लाल हो गए और ऐसा लगा कि उनसे अभी खून निकल जाएगा।

और मैं उसे अक्सर दरवाज़े का सहारा लगा कर, उसकी मम्मे अपने हाथ में पकड़ कर उससे गन्दी बातें करता, मैं अक्सर उससे कहता- तू मेरी रखैल है ! तेरी तो मैं रोज़ फुद्दी लूँगा !

और वो हंस-हंस कर मेरी सारी बातें सुनती रहती और मुझे मज़े देती रहती।

हमारे कॉलेज के पास एक पिक्चर हॉल था जहाँ मैं और वो अक्सर जाते और सबसे फ्लॉप पिक्चर के टिकट लेकर कोने में बैठ जाते और हमेशा वहाँ भी उसकी टी-शर्ट ऊपर करके उसके मम्मे चूसता रहता।

मुझे उसके नर्म, मुलायम मम्मों को चूसने में बड़ा मज़ा आता।

और फिर अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में देकर उसे चूसने को कहता। पूरी पिक्चर हम ऐसे ही देखते।

अक्सर हम लोग कहीं घूमने जाते और हम होटल में रहते तो मैं उसे कभी कपड़े नहीं पहनने देता था। उसकी गाण्ड मोटी होती जा रही थी और मुम्मे भी बड़े होते जा रहे थे, और वो एक औरत बनने की ओर अग्रसर होती जा रही थी। जिसका पूरा श्रेय मुझे ही जाता है।

मैं अक्सर अपने दोस्तों के सामने भी उसे चूम लेता था और जब मन में आता उसकी चूत में हाथ डाल के उसकी चूत की महक ले लेता था।

मैं उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर घुमाने ले जाता और हर बार गाड़ी कही खड़ी करके उसकी चूत का सेवन ज़रूर करता, मेरा मन हमेशा करता था कि मैं उसकी एक बार खुले में और बारिश में लूँ !

तो यह मौका मुझे जल्दी ही मिल गया।

मुंबई में मेरा एक दोस्त रहता था, उसका अपना फ्लैट था एक पॉश कालोनी में, जहाँ उसका अपना टैरेस-गार्डन था। मैं जब वहाँ गया तो प्रिया और मैं उसी दोस्त के फ्लैट में रुके। वहाँ मेरी उसे खुले में चोदने की तमन्ना भी पूरी हो गई। मेरा हाथ अक्सर प्रिया की चूत में ही रहता था, और जैसे ही मैं मम्मे सहलाना चालू करता तो उसके चुचूक एकदम सख्त हो जाते और मैं उनसे खेलता रहता। मुझे लड़कियों में उनके मम्मे बड़े पसंद थे, जब तक लड़की के मम्मे बड़े न हों तब तक मेरे लिए उस लड़की के साथ सेक्स करने का कोई मतलब ही नहीं था।

प्रिया ने मुझे एकदम हबशी बना दिया था, मेरा दिन और रात बस उसके जिस्म के साथ खेलने में ही चला जाता था।

मगर उसकी चूत की खुजली मिटाए नहीं मिटती नहीं थी।

एक रोज़ मैं अगर उसके साथ छेड़ छाड़ नहीं करता था उसे बुरा लग जाता था। मैं उसके साथ अक्सर ब्लू फिल्में देखा करता था और उसके साथ उसी स्टाइल में मज़े किया करता था, जैसे मैं कभी उसके चूचों पर चॉकलेट गिरा कर फिर उसे अपने होंठों से साफ़ करता और फिर उसी चॉकलेट को उसकी चूत के आसपास लगा कर वहाँ से भी साफ़ करता।

अब हम सेक्स ऐसे करने लगे थे जैसे लोग रात को सोते हैं, कि बस करना ही है।

खैर यह कहानी तो चलती ही रहेगी, अभी मुझे इतनी ही बातें याद है उस लड़की एक बारे में !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें-

Dearmohit2012@gmail.com

15 comments:

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